इसको हम क्रांति की विडंबना कहें अथवा साम्यवादी राजनीति का लक्ष्य से अकसर भटक जाने वाला स्वभाव-प्रतिहिंसा साम्यवादी क्रांति की अवश्यंभावी घटना रही है.
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इसको हम क्रांति की विडंबना कहें अथवा साम्यवादी राजनीति का लक्ष्य से अकसर भटक जाने वाला स्वभाव-प्रतिहिंसा साम्यवादी क्रांति की अवश्यंभावी घटना रही है.
3.
हक़ीक़त में सलीक़ा हक़ की राह को पा लेने में है, हक़ की राह से या उसके रहबर, से भटक जाने वाला जैसा भी हो, अच्छे सलीक़े वाला नही हो सकता।
4.
क्योंकि जब आत्मा निर्विकार और निर्गुण है, निर्लेप और अजर-अमर है तब तो मानसिक कल्पना के ही चलते वह भटकती है और पाप-पुण्य में पड़ती है, जैसे जंगल में भटक जाने वाला काँटेकुशों में बिधता या चोर-डाकुओं से लुटता है।
5.
कभी ऊंची ऊंची इमारतों के दरमियान से गुजरते हुए, कभी मन्दिरों के कलश को चूमते हुए, कभी मस्जिदों के बुलंद होती हुई सदाए हक़ के उजाले में, लेकिन मेले में खोया हुआ बच्चा और घर से भटक जाने वाला कबूतर वापस कहां आता हैं.